31.1 C
Varanasi

सुपुर्दे खाक हुआ मुख्तार अंसारी! आपराधिक नैतिकता की भी चढ़ा दी बलि, पढ़िए दास्तान ए मुख्तार जुर्म का चन्दौली कनेक्शन…

Published:

The News Point : जेल में निरुद्ध माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद भले ही सुपुर्दे खाक की तैयारी चल रही है. लेकिन उसके अपराध कहानी आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. वाराणसी और चंदौली में मुख्तार से जुड़े 2 घटनाएं प्रमुख तौर पर जुड़ी है. जिसमें पहली घटना विधायक रहते वाराणसी निवासी कोल व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण और 5 करोड़ की फिरौती फिर कथित हत्या से जुड़ी है. दूसरी कहानी दीवान हत्याकांड से जुड़ी है. जिसमें मुगलसराय में मुठभेड़ के दौरान हत्या कर फरार हो गया. माफिया मुख्तार अंसारी के अपराध की कहानी के पहले कुछ पन्नो में शुमार यह दो घटनाएं उसके दुस्साहस को दिखाती है…पेश है एक रिपोर्ट…

रूंगटा हत्याकांड…

पहली कहानी सन 1997 की है जब मुख्तार अंसारी ने वाराणसी के बड़े कोयला व्यवसाय नंदकिशोर रुंगटा का न सिर्फ अपहरण किया. बल्कि फिरौती मिलने के बाद कथित रूप में उसकी हत्या कर दी. पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की. चार्जशीट पेश की तो जो कहानी सामने आई वह दिल दहला देने वाले थी. 1997 में कोयला व्यवसाय नंदकिशोर रुंगटा का  वाराणसी से बड़ा नाम हुआ करता था. कहा जाता है कि अपनी स्टीम गाड़ी से खुद मुख्तार अंसारी मौके पर पहुँचा और नंदकिशोर रुंगटा को पान खिलाने के बहाने अपनी गाड़ी में बैठाकर कर ले गया. उसके बाद यह व्यवसाई घर नहीं लौटा. अपहरण के अगले दिन पहले एक करोड़ की फिरौती मांगी गई. फिर उसे बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया गया. कहते हैं कि परिवार के लोगों से फिरौती की रकम दे भी दी. लेकिन बाद में उसकी कथित हत्या कर दी गई. 25 साल बीत जाने के बाद भी पुलिस और सीबीआई रूंगटा की लाश नहीं तलाश सकी. इस मामले में अभी भी सीबीआई की उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है.

कवरेज करने गए पत्रकार डॉ अनिल यादव ने बताया कि उस वक्त मुख्तार का सिक्का चलता था. जरायम की दुनिया में पूर्वांचल में इससे बड़ा कोई नाम नहीं था. यह वह शुरुआती दिन थे जब मुख्तार अपराध को संस्थागत करने में जुटा था. तब मुख्तार जरायम की दुनिया में अपना नाम बहुत बड़ा कर चुका था और राजनीति में भी सक्रिय था. रूंगटा का न सिर्फ अपरहण किया और बाद में फिरौती वसूल कर कथित तौर पर उसकी हत्या कर अपराधिक नैतिकता की भी बलि चढ़ा दी थी.

हवलदार रघुवंश हत्याकांड

हवलदार रघुवंश सिंह हत्याकांड ने जरायम की दुनियां में मुख्तार अंसारी को चर्चा का केंद्र बना दिया. बात सन 1993 की है. जब मुख्तार अंसारी ने जीटीआर ब्रिज के पास एक पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उसके बाद रेलवे यार्ड में कूदकर मौके से फरार हो गया था. इसी मामले में यहां उसके ऊपर एक मुकदमा भी चल रहा है.बताया जाता है है कि इस घटना के बाद मुख्तार अंसारी खुले तौर पर चंदौली जनपद में नहीं आया, लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस की निगरानी उसको कई बार यहां हाजिर होना पड़ा था.

आपको बता दें कि 1993 की घटना आज भी लोगों के जहन में ताजी है, जब मुख्तार अंसारी वाहनों के काफिले के साथ मुगलसराय के नगर में पहुंचा था. तीन-चार वाहनों में मुख्तार अंसारी के गुर्गे सवार थे. उस समय जीटीआर पुल के पास एक शराब की दुकान हुआ करती थी. उसी के समीप शराब की दुकान से मुख्तार अंसारी के गुर्गों ने शराब की चार-पांच बोतलें खरीदी. वहां गाड़ियों का काफिला और विवाद की बात सुनकर पुलिस पहुंची तो गोली चल गयी थी.

तत्कालीन मुगलसराय कोतवाल एन के जनवार पुलिस जीप के साथ जीटीआर ब्रिज के पास पहुंचे तो हंगामा कर रहे मुख्तार अंसारी के गुर्गों को गाड़ी समेत सभी को कोतवाली चलने के लिए कहा, लेकिन मुख्तार अंसारी वहां नहीं जाना चाहता था. इस बीच मुख्तार के गाड़ी में एक हवलदार को बैठा दिया गया. लेकिन थाने की बजाय जीटीआर ब्रिज पर चढ़ने लगा.जिसका विरोध करने पर मुख्तार ने पुलिसकर्मी को गोली मार दी. जब तक पुलिस जवाबी फायर करती, तब तक वह रेलवे यार्ड की ओर भाग निकला उसके बाद वह अपने गैंग के लोगों के साथ मौके से फरार हो गया. लेकिन इस गोलीकांड में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी.

सम्बंधित पोस्ट

लेटेस्ट पोस्ट

spot_img

You cannot copy content of this page