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Chandauli loksabha election : चन्दौली पर भारी पड़े  बाहरी प्रत्यासी, खुद को ठगा महसूस कर रही जनता.., पढ़िए पूरी खबर…

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The News Point : लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. इन सबके बीच तीनों प्रमुख पार्टियों ने अपना उम्मीदवार घोषित कर मंशा साफ कर दी है. इसमें भाजपा से मौजूदा सांसद डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, सपा से वीरेंद्र सिंह और बसपा से सत्येंद्र कुमार मौर्य को उम्मीदवार बनाया गया है. अगर राजनीतिक दलों ने अपने सूची में कोई बदलाव नहीं किया तो चंदौली लोकसभा का चुनाव काफी रोचक दौर में पहुंच गया हैं. क्योकि भाजपा और सपा ने सवर्ण उम्मीदवार को अपने सिंबल पर मैदान में उतारा हैं. लेकिन बसपा ने पिछड़ा कार्ड खेलते हुए मौर्य जाति के सत्येंद्र मौर्य पर अपना दांव लगाया है. तीनों ही प्रमुख उम्मीदवार चंदौली जिले के निवासी नहीं हैं.

विदित हो कि सपा और बसपा के उम्मीदवार चन्दौली लोकसभा क्षेत्र के गंगापार वाराणसी जिले के निवासी हैं. वहीं भाजपा के उम्मीदवार डा. महेंद्रनाथ पांडेय गाजीपुर जिले के सैदपुर क्षेत्र के निवासी हैं. जो चंदौली लोकसभा का हिस्सा नहीं हैं. ऐसे में चंदौली के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

शिवपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले है सपा प्रत्यासी वीरेंद्र सिंह

समाजवादी पार्टी के द्वारा चंदौली लोकसभा के लिए पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया हैं. वीरेंद्र सिंह वाराणसी जिले के तत्कालीन चिरईगांव विधानसभा सीट से 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. इसके साथ ही उनके राजनैतिक करियर की शुरुआत मानी जाती है. उन्होंने कई साल तक अपनी स्वतंत्र राजनीति की. 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की और दोबारा विधानसभा में पहुंचे.

अखिलेश यादव के भरोसेमंद

पिछले साल सपा ने नगर निकाय चुनाव के पहले वीरेंद्र सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया था. इसके साथ ही साथ उन्होंने वाराणसी नगर निगम के चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए काफी मशक्कत भी की थी. वीरेंद्र सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ऐसा माना जा रहा कि सपा ने सांसद व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के खिलाफ क्षत्रिय प्रत्याशी को सामने लाकर राजपूत वोटों के ध्रुवीकरण के साथ साथ ही पीडीए के जरिये पिछड़े दलित अल्पसंख्यको को साधने की कोशिश की.

गाजीपुर के रहने वाले हैं सांसद डॉ महेंद्र नाथ पांडेय

गाजीपुर जिले के सैदपुर क्षेत्र के पख्खनपुर गांव के मूल निवासी डा. महेंद्रनाथ पांडेय शुरूआती दौर से आरएसएस और जनसंघ से जुड़े रहे. छात्र राजनीति के सहारे सक्रिय राजनीति में अपने को स्थापित करने वाले डा. महेंद्र नाथ पांडेय को लोग एक कुशल संगठनकर्ता भी मानते हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय का राजनैतिक कैरियर काफी उतार चढ़ाव के दौर से गुजरा हैं.

1991 में बने थे पहली बार विधायक

पहली बार डा. पांडेय वर्ष 1991 में चुनाव जीतकर विधायक बने. इसके बाद 1996 में दुबारा विधानसभा के सदस्य बने. इस दौरान डा. पांडेय प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पंचायती राज, राज्य मंत्री आवास और शहरी विकास मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इसके बाद कई चुनावों में उन्हे हार का सामना करना पड़ा. हालांकि वर्ष 2014 में चंदौली लोकसभा की सीट पर बसपा के अनिल मौर्य को चुनाव हराकर सांसद बने. इसके बाद 2019 में सपा के संजय चौहान को हराकर चंदौली से दुबारा सांसद बने. डा. पांडेय फिलहाल केंद्र सरकार में भारी उद्योग मंत्री पद पर हैं. भाजपा ने तीसरी बार डा. पांडेय को चंदौली से उम्मीदवार बनाकर एक बार फिर भरोसा जताया हैं. बाहरी होने के बावजूद उनकी जिले के सभी सभी वर्गों के बीच है. उनका मुकाबला सपा के वीरेंद्र सिंह और बसपा के सत्येंद्र मौर्य से हैं.

अजगरा विधानसभा के रहने वाले है बसपा प्रत्यासी सत्येंद्र मौर्य

लोकसभा क्षेत्र के लिए बसपा ने सत्येद्र कुमार मौर्य को मैदान में उतारा हैं. सत्येंद्र कुमार मौर्य वाराणसी जिले के अजगरा विधानसभा के गांव गोसाईपुर मोहांव के निवासी हैं. सत्येंद्र 1995 से बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता रहे. लेकिन बूथ, सेक्टर, भाईचारा समिति जिला संयोजक रूप में काम किया है. परिवार के कई लोग सरकारी नौकरियों में है, लेकिन सत्येंद्र कुमार मौर्य सोशल वर्कर के साथ ही रियल स्टेट कारोबारी भी हैं. लेकिन इस बार बसपा के द्वारा उन्हे चंदौली लोकसभा से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से लोगों के बीच काफी चर्चा हैं. खासकर स्वजातीय लोगों के बीच उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है. जिससे दोनों ही दलों का समीकरण बिगाड़ सकता है.

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