Chandauli news : सहकारिता विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद सहकारिता मंत्री के निर्देश पर गठित जांच कमेटी सहकारिता कार्यालय मुख्यालय पहुँची. जांच अधिकारी वाराणसी मंडल उपायुक्त अजीत सिंह के समक्ष जनपद के 12 सचिव सदस्यों, पीएससी के कर्मचारी एवं अधिकारी एडीसीओ चकिया पेश हुए. इसके अलावा शिकायतकर्ता साधन सहकारी समिति के प्रतिनिधि अजित सिंह भी उपस्थित होकर अपना मौखिक एवं लिखित बयान प्रस्तुत किया. हालांकि बारिश के चलते जांच प्रभावित रही. इससे कई सचिव मौके पर पहुँच नहीं सके. शाम तक चले जांच प्रक्रिया में क्रय केंद्र निर्धारण और हैंडलिंग में भ्रष्टाचार संबंधित साक्ष्य सुबूत एकत्र किए गए.
विदित हो कि अजीत सिंह ने नवंबर 2023 को सहकारिता मंत्री स्वतंत्रत प्रभार सहित उच्चाधिकारियों को विभाग के कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए शिकायती पत्र लिखा था. जिसमें आरोप लगाया था कि अपर जिला सहकारी के पद पर कार्यरत चंदौली में विगत चार वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं. धान व गेंहू क्रय केंद्र में जनपद के मिलरों एवं क्रय एजेंसियों से मिलकर धन उगाही कर रहे हैं. जिससे शासन की छबि खराब हो रही है, जिसमे सहकारिता विभाग के उच्चाधिकारी की संलिप्ता बताते हुए आरोप लगाया था.
यही नहीं आरोप लगाया था कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए चंदौली में धान क्रय में हैंडलिंग का कार्य ठेकेदारों द्वारा नहीं किया गया. बल्कि हैण्डलिंग का कार्य वास्तव में केंद्र प्रभारी द्वारा किया गया है. पीसीएफ कार्यालय चंदौली में लंबे समय से तैनात महेंद्र कुमार द्वारा इंद्रेश कुमार जिला प्रबंधक पीसीएफ एवं क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीएफ हैण्डलिंग ठेकेदारों से मिलीभगत करके हैण्डलिंग का भुगतान ठेकेदारों को किया गया है. यहां तक कि श्रमिकों का भुगतान नही किया गया है. हैण्डलिंग के भुगतान में चंदौली में करोड़ों रूपये का घोटाला हुआ है. क्रय केंद्र प्रभारियों व उनके श्रमिकों के साथ अन्याय हुआ है.
इस बाबत जांच अधिकारी उपायुक्त अजित सिंह ने बताया कि पूरे प्रकरण की निष्पक्षता के साथ जांच की जा रही है. भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले की हैंडलिंग ठेकेदारों के भुगतान से लेकर सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. शिकायकर्ता व सचिवों से पूछताछ की गई. जांच के बाद इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी. जिसके बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
गौरतलब है कि चन्दौली को धान का कटोरा कहा जाता है, यहां उन्नत किस्म की धान के साथ ही बड़े पैमाने पर धान की फसल पैदा की जाती है. लेकिन यहां धान विक्री को लेकर हर साल अनिमितताओं की शिकायतें सामने आती है. धान क्रय केंद्र प्रभारियों मिलरों व धान खरीद से जुड़े अधिकारियों की गठजोड़ में फंसकर किसान शोषण का शिकार हो जाता है. सभी गुणा गणित का भार अंततः किसानों को उठाना पड़ता है. ऐसे में उम्मीद है कि इस जांच के सार्थक परिणाम निकलेंगे और किसानों को इसका लाभ मिलेगा.