चन्दौली – जिले में न्यायालय एवं मुख्यालय निर्माण संघर्ष समिति अब आर पार की लड़ाई के मूड में है. लंबे समय से धरनारत अधिवक्ता 8 सितम्बर से चन्दौली से दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू करेंगे. जो वाराणसी लखनऊ होते हुए दिल्ली तक जाएगी. यह न्याय यात्रा जिला मुख्यालय के विकास व अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम के उद्देश्य को लेकर चंदौली से दिल्ली तक जाएगी. वहीं सिविल बार एसोसिएशन ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए यात्रा खत्म होने तक प्रशासनिक कार्य से विरत रहेंगे.
इस दौरान संयोजक जनमेजय सिंह ने बताया की मुख्यालय विकास को लेकर शुरू हो यह यह भी पदयात्रा वाराणसी होते हुए पहले लखनऊ पहुचेगी.जहां जिले की समस्या को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात व बातचीत का प्रयास होगा.यदि उनके द्वारा चंदौली के विकास की दिशा में सार्थक पहल की जाती है. तो पदयात्रा वहीं से लौट आएगी, अन्यथा दिल्ली पहुंचकर चंदौली के अधिवक्ता अपनी बातों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखने का काम करेंगे. उन्होंने चंदौली की आवाम का आह्वान किया कि आठ सितंबर को सुबह 11 बजे चंदौली कचहरी पहुंचकर पदयात्रा को सम्मानपूर्वक विदाई देने के साथ ही अपने स्नेह व आशीर्वाद से नवाजे.
इस दौरान चन्दौली की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा की 26 साल बाद भी जिला मुख्यालय का विकास नहीं हो सका.0यहां दीवानी न्यायालय भवन, न्यायिक अधिकारीगण आवास नहीं बन सका, जिसकी वजह से अधिवक्तागण, वादकारीगण व न्यायिक अधिकारीगण को कार्य करने में असुविधा महसूस होती है. इसके अलावा जनपद चंदौली में पुलिस लाइन, जिला जेल, रोडवेज डिपो, रोडवेज स्टैंड, विकास भवन, स्टेडियम, सेल टैक्स आफिस, इनकम टैक्स आफिस, एआरटीओ आफिस आदि प्रमुख कार्यालय/विभाग का सरकारी भवन आज तक नहीं बन सका है.
कार्यकारी अध्यक्ष धनंजय सिंह ने कहा कि डीएम, एसपी, एडीएम समेत तमाम जिला स्तरीय अफसर एवं जिला जज समेत तमाम न्यायिक अधिकारी किराए के भवन या दूसरे विभागों के भवनों में रह रहे हैं. कहा कि 26 साल बाद भी यहां के प्रमुख आला अधिकारी न तो अपना सरकारी आवास बना सके और ना ही इंफ्रास्ट्रक्चर कायम करा सके. जो कि एक जिला चलाने के लिए आवश्यक होता है. चंदौली के साथ सृजित हुए कई जिले बहुत पहले अपने पूर्ण अस्तित्व को प्राप्त कर चुके हैं. जबकि कई जिले लगभग पांच वर्ष पहले ही पूर्ण रूप से विकसित हो चुके हैं.
इस अतिमहत्वपूर्ण मुद्दे पर चंदौली के विकास के लिए सभी जिम्मेदार लोगों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को पत्रक के माध्यम एवं उनके मुलाकात कर सारी समस्या से अवगत कराते हुए निदान की गुजारिश भी की जाती रही है. बताया कि इस मुद्दे पर पत्राचार करने पर अधिवक्ताओं ने 52 हजार रुपये खर्च कर डाले हैं, लेकिन जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि अभी भी उदासीन बने हुए हैं.
यहीं नहीं चंदौली के विकास के मुद्दे पर जिला प्रशासन न केवल जनता से झूठ बोल रहा है, बल्कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ के समक्ष भी झूठा हलफनामा दे चुके हैं. बताया कि 14 नवंबर 2014 को मुख्य न्यायमूर्ति इलाहाबाद डीवाई चन्द्रचूड़ एवं न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल ने चंदौली जनपद को लेकर एक आदेश पारित किया गया था. जिसका अनुपालन आज तक सुनिश्चित नहीं हो पाया है.
न्याय यात्रा तक सिविल बार ने जारी किया हड़ताल
गौरतलब है कि न्यायालय निर्माण एवं मुख्यालय संघर्ष समिति के इस आंदोलन को सिविल बार एसोसिएशन ने भी अपना समर्थन दे दिया है. सिविल बार ने बताया कि 5 अगस्त को आन्दोलन एक माह के लिए स्थगित किया गया था. लेकिन एक माह बाद शासन व प्रशासन स्तर से न्यायालय निर्माण व शिलान्यास को लेकर कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई. जिसके बाद जनमेजय सिंह की न्याय यात्रा को समर्थन देते हुए दिल्ली जाने वाली टीम के शकुसल वापस आने तक सिविल एसोसिएशन इस आन्दोलन का समर्थन करता है. साथ ही प्रशासनिक व राजस्व न्यायालय का वहिष्कार करता रहेगा.