The News Point (चंदौली) : सैयदराजा नगर पंचायत अध्यक्ष पद के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जीत हासिल हुई. बीजेपी ने विपक्षियों को मात देते हुए दोबारा अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया. भाजपा प्रत्याशी आभा ने कांटे की टक्कर में 98 वोटों से जीत हासिल की. दूसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार इशरत खातून रहीं. बीजेपी उम्मीदवार को 3539 और निर्दलीय उम्मीदवार को 3441 वोट मिले. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार शहनाज बेगम को महज 338 वोट मिले. वहीं सैयदराजा विधायक ने इस जीत पर खुशी जाहिर की. लेकिन हिन्दू मतदाताओं से नाराज दिखे,और नारे का असर उल्टा पड़ने की बात कही.
विदित हो कि चंदौली स्थित पॉलिटेक्निक कालेज में गुरुवार की सुबह मतगणना शुरू हुई. बीजेपी उम्मीदवार को शुरुआत से ही बढ़त मिलती गई. वहीं दूसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार इशरत खातून रहीं. तीन चक्रों की मतगणना के बाद भाजपा उम्मीदवार को विजयी घोषित किया गया. उपचुनाव के लिए 17 दिसंबर को हुए मतदान में कुल 9104 वोट पड़े थे. इसमें 8868 वोट वैध पाए गए. जबकि 236 अवैध मतों को रद्द कर दिया गया. भाजपा उम्मीदवार को 3539, कांग्रेस की शहनाज बेगम को 338, निर्दलीय प्रत्याशी इशरत खातून को 3441, उम्मे अवीबा को 13, शहनाज को 105, श्वेता गुप्ता को 6, सबीना बेगम को 65 वोट मिले. वहीं 10 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना.
निर्वाचन अधिकारी विराग पांडेय ने बीजेपी प्रत्यासी आभा जायसवाल को जीत का सर्टिफिकेट देकर निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की. वहीं जीत के बाद आभा जायसवाल ने बताया कि जीत का श्रेय नगर की आम जनमानस को दिया. कहा कि यह जीत सीएम योगी और पीएम मोदी के सबका साथ सबका विकास की नीतियों का है. यह भी जीत योगी आदित्यनाथ के नारे बटोगे तो कटोगे की है.
सैयदराजा विधायक सुशील सिंह ने इस जीत पर खुशी जाहिर करते हुए इसे नगर की आम जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की जीत बताया. हालांकि जीत के कम अंतर पर समीक्षा करने की बात कही. लेकिन हिन्दू वोटरों पर नाराजगी जाहिर की. कहा की इस उप चुनाव में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे उल्टा असर हुआ. इस नारे के बाद मुस्लिम वोटर तो एकजुट हुए लेकिन हिन्दू वोटरों में बिखराव देखने को मिला. यहीं नहीं सैयदराजा नगर पंचायत का नाम बदलकर शिवा नगर रखने की बात कही.
निर्दल चुनाव लड़ना पड़ा महंगा
सैयदराजा में कांटे की टक्कर में भी हार के बाद कारणों को समीक्षा शुरू हो गई. जिसमें निर्दल प्रत्यासी इशरत खातून की तरफ से सपा का सिंबल न लेना सबसे बड़ी चूक माना जा रहा है. जबकि बाद उन्हें सपा ने अपना समर्थन देने की बात है कही. वहीं नामांकन के दौरान सपा की तरफ से घोषित उम्मीदवार न होने के चलते नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने अपना प्रत्यासी खड़ा कर दिया,और इसे INDIA गठबंधन के प्रत्यासी की तर्ज पर चुनाव लड़ाया. यहीं नहीं भाकपा-माकपा समेत अन्य छोटे दलों का समर्थन भी कांग्रेस कैंडिडेट मिला. जिससे विपक्षी वोटरों में विखराव देखने को मिला. जिसका सीधा नुकसान सपा समर्थित उम्मीदवार इशरत खातून को उठाना पड़ा, कांटे के मुकाबले में हार मिली.