The News Point (चंदौली) : शराब तस्करों की हिमाकत ने रेल सुरक्षा तंत्र की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं. आरपीएफ आरक्षियों की हत्या की गुत्थी सुलझ तो गई. लेकिन पड़ताल के दौरान खाकी और तस्करों के बीच के गठजोड़ भी जगजाहिर हो गई. यह साबित भी हो गया कि ट्रेनें तस्करों के लिए मुफीद साधन बन गई है. GRP व RPF के भ्रष्ट कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से यह धंधा खूब फल-फूल रहा है. यहीं नहीं इस अवैध कारोबार को कुछ सफेदपोश और रसूखदार लोगों का संरक्षण भी प्राप्त है.
बताया जा रहा है है कि शराब तस्करों के जिस गिरोह ने आरपीएफ आरक्षियों की हत्या की, वे कई सालों से चंदौली से बिहार तक ट्रेनों के जरिए तस्करी करते आ रहे थे.अत्याधुनिक स्कैनर चेक पोस्ट, सीसी टीवी कैमरों से लैस होने के बाद भी डीडीयू जंक्शन से अवैध शराब ट्रेनों में आसानी से चढ़ाई जाती है, जो जीआरपी और आरपीएफ के इस खेल में शामिल होने का पुख्ता प्रमाण है. इस खेल में सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही ड्राइवर, टीटी, गैंगमैन समेत पेंट्री कार कर्मियों का गठजोड़ भी शामिल है. शराब तस्कर RPF और GRP के कारखासों के संपर्क में बने रहते हैं. किस ट्रेन में किस तरह की सुरक्षा/सुविधा है. यह जानकारी रेलकर्मियों के जरिए ही तस्करों तक पहुंचती है.