The News Point (चंदौली) : हाल ही सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव ने देश की राजनीति को नया आयाम देने का काम किया. यह चुनाव सत्ता परिवर्तन भले ही नहीं कर सका हो लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को जरूर बल दिया. यह चुनाव INDIA बनाम NDA के बीच रहा है. जो इनसे अलग हुए वह अलग थलग ही रह गया. यूपी में यह लड़ाई और भी दिलचस्प रहा. एक तरफ PDA और संविधान बचाने की लड़ाई तो दूसरी तरफ राम मंदिर और देश को सशक्त बनाने की ओर लड़ाई लड़ी गई. लेकिन इन सब के बीच दलित उत्थान की लड़ाई काफी पीछे छूट गई. नतीजा बहुजन समाज पार्टी का आंकड़ा शून्य रहा. जबकि दलित नेता चंद्रशेखर रावण ने नगीना सीट से न सिर्फ खाता खोला बल्कि लोकसभा के सदन में सबसे चर्चित दलित नेता के रूप जगह बनाने में कामयाब हुए. लेकिन यूपी में दलित राजनीति में आई रिक्ति ने नए संभावनाओं को भी बल दे दिया. जिसकी शुरूआत शनिवार को चंदौली से देखने को मिली.जहां बसपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे शारदा प्रसाद ने बहुजन राजनीति पर चिंतन मंथन संगोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें बहुजन नेता काशीराम के नेतृत्व में काम करने वाले लोग सैकड़ो की संख्या में शामिल हुए और बहुजन राजनीति की नई दिशा तय करने का लक्ष्य निर्धारित किया.
इसका शुभारंभ पूर्व मंत्री शारदा प्रसाद ने बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर व कांशीराम के चित्र पर श्रद्धा- सुमन अर्पित कर किया. इसके बाद उन्होंने गोष्ठी में आए बहुजन समाज के लोगों से संवाद स्थापित किया और आगामी बहुजन राजनीति को लेकर चिंतन-मंथन किया. इस दौरान पूर्व मंत्री शारदा प्रसाद ने अपने वक्तव्य की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी के स्थापित दिनों को याद करते हुए की. कहा कि बसपा के गठन के साथ ही उनके नेता सांसद व विधायक बनने शुरू हो गए थे, बहुत कम समय राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर ली. लेकिन आज बसपा पूरी तरह से रसातल में जा चुकी है. हालात इतने खराब है कि इतनी बड़ी व सशक्त पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं है. कहा कि आज बसपा गलत नीतियों व निर्णय का शिकार हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि जब तक पार्टी की बागडोर कांशीराम के पास थी, बसपा के कार्यकर्ताओं का सम्मान रहा और उन्हें काम के बदले टिकट मिला. गरीब दलित नेता भी एमपी, एमएलए बने, लेकिन उनके जाने के बाद गलत निर्णय व नीतियों के कारण पार्टी का निरंतर पतन होता गया. आज जिला पंचायत से लेकर एमपी तक का टिकट पैसे से खरीदा व बेचा जा रहा है. यहां तक संगठन में पदों के लिए बोली लगाई जा रही है. ऐसे में बहुजन समाज के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे है. आज बहुजन राजनीति को नई दिशा देने के लिए चिंतन-मंथन करने की जरूरत है. बहुजन समाज को एकजुट होकर एक नए राजनीतिक मंच को स्थापित करना होगा. जिस तरह बहुजन समाज पार्टी को सींच कर आगे बढ़ाया. उसी तरह एक राजनीतिक चेतना के बीज को खून पसीने सींचकर एक नई ऊंचाई प्रदान करना होगा.
वरिष्ठ बहुजन नेता भोलानाथ बच्चन ने कहा कि कांशीराम के समय संघर्षों को याद करते हुए कहा कि आज बसपा में पैसे का बोलबाला हो गया है. बसपा कांशीराम के मिशन से पूरी तरह भटक गयी है. उनके सपने को पूरा करने के लिए एक बार फिर बहुजनों को इकट्ठा होकर समाज को जोड़ना होगा और पूरी क्षमता के साथ कार्य कर कांशीराम के सपनों को साकार करना होगा.
वहीं भीम आर्मी बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ प्राण बाहू ने बहुजन राजनीति के इस मिशन को अपना समर्थन प्रदान किया. साथ ही नए विकल्प की आवश्यकता बताई. इस अवसर पर छविनाथ चौहान, धर्मेन्द्र पासवान, राम सुरेश, प्रेमचंद भारती, असलम हाशमी, छांगुर चौहान, गुलाब मौर्य, आजम अंसारी आदि उपस्थित रहे.