चंदौली – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को चंदौली पहुंचे. जिले को 742 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी. वहीं मंच से चुनावी मूड में जनता से संवाद किया. उन्होंने चंदौलीवासियों से इस बार भी कमल खिलाने की अपील की. साथ ही चंदौली को विकसित जिला बनाने का भरोसा दिलाया. उन्होंने विकास की बात की और डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियां गिनाई.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को लाने के लिए घर-घर कमल खिलाना है, क्योंकि यही कमल लक्ष्मी जी को लेकर आएगा.लक्ष्मी आएंगी तो चंदौली का विकास होगा. जितनी भी योजनाएं चंदौली के विकास के लिए बनती हैं, वे बैरंग नहीं जाती हैं, उनमें पैसा दिया जाता है. उन्होंने जनता से कहा कि डा. महेंद्रनाथ पांडेय को एक बार फिर से जिताइए, भरोसा दिलाता हूं कि चंदौली की जितनी भी योजनाएं होंगी, सभी को मूर्तरूप देने का काम किया जाएगा. उन्होंने जनपदवासियों को आश्वस्त किया कि चंदौली आकांक्षात्मक जनपद नहीं होगा, बल्कि प्रदेश का एक विकसित जिला होगा.
चंदौली अब किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएगा, बल्कि खाद्यान्न उत्पादन के साथ ही उद्योग में भी अग्रणी जिला बनेगा. उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश का पेट भरने वाला चंदौली जिला विकास के कार्यों में पिछड़ कैसे सकता है. डबल इंजन की सरकार आकांक्षात्मक जिले का विकास कर रही है. चंदौली का अपना स्वयं का पुलिस लाइन होगा. जल्द ही जनपद न्यायालय की भी नींव रखी जाएगी.
सीएम ने मंच से अघोराचार्य बाबा कीनाराम की चर्चा की. कहा कि बाबा कीनाराम ने अपनी साधना से लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया. बिना भेदभाव किए समाज के सभी तबके के लोगों को कल्याण का रास्ता दिखाने का काम किया.
विधायक ने मांगा तो सही लेकिन सीएम ने अनसुना कर दिया
इस दौरान सैयदराजा विधायक सुशील सिंह ने मंच से सीएम के सामने कुछ प्रमुख मांगें रखीं. इसमें सैयदराजा का नाम बदलने की मांग को जनता का समर्थन भी मिला, लेकिन सीएम ने विधायक की मांगों को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने अपने संबोधन में विधायक की मांगों का जिक्र तक नहीं किया. इसको लेकर चर्चाएं होती रहीं
विदित हो कि विधायक सुशील सिंह ने घानापुर को अलग तहसील बनाने की मांग की। वहीं बाबा कीनाराम की जन्मस्थली रामगढ़ में अघोराचार्य की बड़ी प्रतिमा लगवाने, सैयदराजा का नाम बदलकर शिवानगर करने, सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में 50 बेड का हास्पिटल बनाने की मांग की. सैयदराजा का नाम बदलने की विधायक की मांग पर जनता ने अपनी मुहर लगाई, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक की मांगों को नजरअंदाज कर दिया. इससे विधायक व समर्थकों को निराशा हाथ लगी.