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तुम्हें जाना कहाँ है : यह sant की जीवन गाथा भर नहीं, बल्कि छिपा है समय भी…

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The News Point : डॉ संत कुमार त्रिपाठी नाम तो सुना ही होगा. खैर नहीं सुना तो सुन और जान लीजिए. चन्दौली के सकलडीहा के रहने वाले है, और पीजी कालेज सकलडीहा के पूर्व विभागाध्यक्ष भी रहे. लेकिन डॉ संत त्रिपाठी का इतना परिचय अधूरा है. उनके नाम के अनुरूप उनकी जो प्रवृति रही है, वो परम् संतत्व की रही है. अपने नाम के अनुरूप ही संत है, ऐसा माना जाता है कि संत जिसे आशीष दे दे तो वह फलित हो जाता है. लेकिन इन दिनों वे अपनी पुस्तक ‘तुन्हें जाना कहां है’ (बिना प्रश्न वाचक) को लेकर लोगों के बीच चर्चा में है. इसकी सफलता को लेकर उनके फॉलोवर उनसे मिलकर बधाई दे रहे है. साथ ही इसके सार को समझने की कोशिश कर रहे है.

दरअसल विद्वान चिंतक और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी डॉ. सन्त कुमार त्रिपाठी के उपन्यास ‘तुम्हें जाना कहाँ है’ में शब्द-शब्द में संवाद है, और अक्षर-अक्षर में माटी की सोंधी महक है. ‘तुम्हें जाना कहाँ है’ उपन्यास जीवन-राग से जीवन-वैराग की कहानी होते हुए भी मोह और विछोह से अलग की कहानी है. इसमें शब्द, भाषा, अर्थवत्ता अद्भुद है. इसमें छिपा है समय, पैदा होने से पहले गर्भ में भी अंधेरा है और कब्र भी है. इन सबके बीच जीना यहां मरना यहां इसके शिवा जाना कहां. यही पुस्तक का सार है.

इस कृति में वह किस तरह पैदा हुए मां के गर्भ में आने से पहले उनके परिवार की क्या स्थिति थी. कितना समृद्ध कुल था.जन्म के बाद इनके जीवन में जो कुछ घटा. उनके स्नेहीजन से जुड़े घटनाक्रम वो इस पुस्तक में है. यह सब कुछ एक यात्रा के रूप में इस पुस्तक में शामिल है. भले ही यह लेखक के जीवनी पर आधारित है. लेकिन इसके हर पन्ने पर सामाजिकता, समरसता, करुणा और दर्शन मिलेगा. जो साहित्य को समृद्ध बनाता हो. 

यह किताब मनुष्य को यह बताने सक्षम है कि वो इस धरती पर आय है तो उसे इस जीवन मे क्या कुछ करना चाहिए. उसे बता देती है. कहने तो यह इस किताब की लिखी हर बात बात सही हर पत्र सच्चे है, उनके जीवन पर आधारित है लेकिन बावजूद इसके यह उपन्यास कैसे हुआ है. यही इस पुस्तक की खासियत है, और सोचने का विषय है कि तब इसे जीवनी आत्मकथा, सच्ची कथा क्यों नहीं कहा बल्कि यह कहां की तुन्हें जाना कहां है (बिना प्रश्न वाचक ?).

विदित हो डॉ संत कुमार त्रिपाठी के संतत्व को लेकर लेकर भी चर्चा रहती है, की शिव उनके आराध्य है, उनसे कही हुई बात शिव से कही जाती है. सभी जाति धर्म के लोग उनके फॉलोवर है. लोग अपनी समस्या (घर, गृहस्थी, प्रेम बाधा, दुश्मनी, परेशानी ) लेकर आते है, बताकर उसके मुक्ति का उपाय पूछते हैं. उनके बताए रास्ते या सुझाए उपाय से समस्या का समाधान करते है. उनके यहां सभी के साथ समता समानता और समरसता का भाव दिखता है.

डा० संत कुमार त्रिपाठी उर्फ संत भैया की नव प्रकाशित पुस्तक “तुम्हें जाना कहां है” (?प्रश्न वाचक नहीं), पर डॉक्टर प्रमोद पांडेय समेत अन्य फॉलोवर्स ने बधाई दी और आशीर्वाद अर्जित किया. संत भईया(गुरु जी) के सुदीर्घ जीवन पर आधारित पुस्तक, सर्व भाषा ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुई. बधाई देने वाले में अजीत पाठक, प्रेम शंकर तिवारी, विजय पांडेय, रानू, अवनीश सिंह शामिल रहे.

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