The News Point (चंदौली) : रबी फसलों के कटाई के बाद किसान खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए है. जिसके मद्देनजर कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने किसानों को खेत की गहरी जुताई की सलाह दी है. कहा किसान भाई परम्परागत कृषि की विधि ग्रीष्म कालीन जुताई से कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकते है. इससे जल, वायु, मृदा व पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है.
ग्रीष्म कालीन जुताई के फायदे …
1. ग्रीष्म कालीन जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है. जिससे मृदा की जलधारण की क्षमता बढ़ती है, जो फसलों की बढ़वार के लिए उपयोगी होती है.
2. खेत की कठोर परत को तोड कर मृदा को जड़ों के विकास के लिए अनुकूल बनाने हेतु ग्रीष्म कालीन जुताई अत्यधिक लाभकारी है.
3. खेत में उगे हुए खरपतवार एवं फसल अवशेष मिट्टी में दबकर सड जाते है. जिससे मृदा में जीवांश की मात्रा बढ़ती है.
4. मृदा के अन्दर छिपे हुए हानिकारक कीड़े-मकौड़े उनके अण्डे, लार्वा, व्यूपा एवं खरपतवारों के बीज गहरी जुताई के बाद सूर्य की तेज किरणों के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते है.
5. गर्मी की गहरी जुताई के उपरान्त मृदा में पाये जाने वाले हानिकारक जीवाणु, कवक, निमेटोड एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते है जो फसलों के बीमारी के प्रमुख कारण होते है.
6. जमीन में वायु संचार बढ़ जाती है,जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों में वृद्धि एवं विकास में सहायक होते है.
7. खुरदरी सतह बारिश के बहाव को कम करती है,और कटाव को रोकती है.
8 . लवणीय मिट्टी में सुधार होता है,यह हानिकारक लवणों को नीचे की परतों में धकेलने में सहायक होती है.