The News Point (चंदौली): – नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने हाल ही में मेडिकल एजुकेशन और प्रैक्टिस से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को बाबा कीनाराम मेडिकल कॉलेज चंदौली के स्ट्रडेंट फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम का हिस्सा बने. इस अभियान की शुरुआत प्रिंसिपल डॉ अमित सिंह ने शुरू किया. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम छात्रों को केवल किताबों से नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के अनुभवों से प्रशिक्षित करता है, जिससे वे भविष्य के लिए अधिक संवेदनशील और कुशल चिकित्सक बन सकें. इस योजना के तहत मेडिकल कॉलेज 2 गांवों को गोद लिया. जिसके तहत 100 छात्र दोनों गांवों के 500 परिवारों को गोद लेंगे और इन परिवारों हेल्थ केयर की जिम्मेदारी संभालेंगे.
दो गांवों के 500 परिवार होंगे लाभान्वित
इस योजना के क्रियान्वयन प्रभारी डॉ सच्चिदानंद ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में परिवार अंगीकरण कार्यक्रम (Family Adoption Programme – FAP), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा शुरू किया गया एक अनिवार्य कार्यक्रम है. जिसके तहत मेडिकल कॉलेज दो गांवों तेजोपुर और परेवा को गोद लिया गया है. पढ़ाई के दौरान हर MBBS छात्र 5 परिवार को गोद लेगा. जिसके ऊपर हेल्थ केयर की जिम्मेदारी उस स्टूडेंट की होगी. MBBS स्टूडेंट 78 घंटे तक सीधे गांववालों के बीच रहकर उनका इलाज करेंगे.

पढ़ाई के साथ करेंगे सेवा का कार्य
पढ़ाई के दौरान MBBS स्टूडेंट अवेयरनेस और सेवा का काम भी करेंगे. इस दौरान उनकी स्वास्थ्य समस्याओं को समझेंगे और प्राथमिक देखभाल व स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करेंगे, ताकि छात्र जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक कारकों को समझ सकें. बताया कि यह एक दीर्घकालिक पहल है जो छात्रों और समुदाय के बीच स्थायी संबंध बनाती है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि मेडिकल छात्र को ग्रामीण या शहरी इलाकों में जाकर स्वास्थ्य और बीमारी को प्रभावित करने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का प्रत्यक्ष अनुभव करना.

समझ, सहानुभूति और संचार कौशल में होगी वृद्धि
इस दौरान मेडिकल स्टूडेंट स्वास्थ्य मूल्यांकन और परिवार नियोजन सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का कौशल विकसित कर सकेंगे. जिससे डॉक्टर और परिवार के बीच विश्वास और आपसी जुड़ाव स्थापित होगा, जो छात्र के करियर के बाद भी जारी रह सके. छात्रों द्वारा इकट्ठा किए गए इस डेटा का उपयोग सामुदायिक स्वास्थ्य प्रोफाइल बनाने में किया जाता है. साथ ही जमीनी स्तर के स्वास्थ्य मुद्दों की गहरी समझ, सहानुभूति और संचार कौशल में वृद्धि होगी. गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सलाह और निगरानी के चलते उन गांवों में बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे.


