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चन्दौली पुलिस का मानवीय चेहरा  : अलीनगर थाना प्रभारी बने भाई, बहन का टूटता घर जोड़ा फिर  मिठाई खिला कर हंसी-खुशी थाने से किया विदा

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Chandauli news : अलीनगर थाना क्षेत्र के  रहने वाले पति-पत्नी के बीच होने वाली तकरार घर की चहारदीवारी से निकलकर थाने तक पहुंच गई। दोनों के बीच आपसी विवाद इस कदर बढ़ गया की  रिश्ता टूटने के कगार पर पहुंच गया। लेकिन थाना प्रभारी शेषधर पांडेय की सूझबूझ और दरोगा जावेद सिद्दीकी के अथक प्रयास के बाद अलग होने की तैयारी कर रहे पति-पत्नी साथ रहने को राजी हो गए। इसके पश्चात दोनों पति- पत्नी ने  थाना प्रभारी शेषधर पांडेय का धन्यवाद भी किया । 

आप को बता दे की अलीनगर थाना क्षेत्र के पुरैनी गाँव निवासी महेंद्र कुमार पटेल का विवाह 12 वर्ष पूर्व आशा देवी  के साथ हुआ था। दोनों पति-पत्नी हंसी खुशी से साथ रह रहे थे। कुछ दिन पूर्व दंपती में आपसी विवाद हुआ इससे रिश्ता टूटने के कगार पर पहुंच गया। पत्नी की ओर से शिकायत अलीनगर थाने में की गई। पुलिस ने सुलह की पहल के लिए दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया। थाना प्रभारी शेषधर पांडेय ने पहले दोनों पक्षों के बीच विवाद का कारण समझा। फिर पति-पत्नी के नाजुक रिश्ते व सात जन्मों तक साथ निभाने के संकल्प को याद दिलाया। वही समझाने-बुझाने के बाद दोनों के बीच की खटास दूर हो गई।  जिसके बाद थाना परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में जाकर दोनों ने भगवान का आशीर्वाद लिया। फिर थाना प्रभारी ने मिठाई मंगाई। पति – पत्नि एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दंपती हंसी-खुशी साथ रहने को राजी हो गए। वही मामले की पैरवी के लिए दोनों पक्षों से आए लोगों ने भी पुलिस के इस कोशिश की मुक्त कंठ से सराहना की। क्राइम इंस्पेक्टर रमेश यादव, जफर पूर्व चौकी इंचार्ज जावेद सिद्दीकी , आदि लोग मौजूद रहे। 

वही जब इस विषय पर थाना प्रभारी  शेषधर पांडेय से पूछा गया तो उन्होंने बताया की घरेलू हिंसा और पति-पत्नी की तकरार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इन मामलों में नौबत यह आ रही है कि दोनों का ही सब्र जवाब दे गया है। यही वजह है कि अधिकतर मामले पुलिस थाने में पहुंच रहे हैं। वहीं, पुलिस इन परिवारों को टूटने से बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है।

आपसी अनबन से भी टूट रहे घर, बिखर रहे सपने

मियां-बीवी की आपसी अनबन से भी घर टूट रहे हैं और उनके बच्चों के भविष्य संवारने के सपने भी बिखर रहे हैं। ये ऐसे आंकड़े हैं, जिसने समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।  महिलाओं की गृहस्थी बसाने के लिए पुलिस को मध्यस्थता करनी पड़ती है, जिसमें पुलिस की सूझबूझ ने न केवल उनके मनमुटाव को दूर किया, बल्कि भविष्य में उन महिलाओं को घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के दर्द से भी निजात दिलाई। । 

सुलह के बाद छह महीने तक करते हैं निगरानी

महिला उत्पीड़न और प्रताड़ना की अधिकतर शिकायतें थाने में आती हैं। इन शिकायतों पर हम सख्त कदम उठाने से पहले दोनों पक्षों को आमने-सामने कर सुलह का प्रयास करते हैं। अगर महिला ज्यादा डिप्रेशन में है तो उसकी काउंसिलिंग कराई जाती है। फिर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उस महिला को अपनी गृहस्थी बसाने का मौका दिया जाता है। अपनी ससुराल में जाने के बाद छह माह तक पुलिस उससे लगातार संपर्क में रहकर उसकी वहां स्थिति पर नजर भी रखती है, ताकि भविष्य में उसके साथ कोई दिक्कत या परेशानी न आए।

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