Chandauli news : अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिक डा० दिव्या गुप्ता व एग्रीकल्चर रिसर्च टेक्नीशियन रविन्द्र कुमार ने बृहस्पतिवार को आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, चन्दौली पर पहुँचकर उनके सहयोग से लगे धान के प्रक्षेत्र परीक्षण की सात प्रजातियों उत्तर सोना, मालवीय मनीला सिंचित धान, मालवीय मनीला सूखा धान, सरजू-52, उत्तर लक्ष्मी, आई.आर. – 64 सब – 1 व एन. डी. आर. – 2065 के परीक्षण का अवलोकन किया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डा० सत्यपाल सिंह ने कम बारिश के कारण किसानों को होने वाली परेशानी और फसल उत्पादन कम होने की सम्भावना पर विस्तृत चर्चा की।
डॉ अभयदीप गौतम ने केन्द्र पर लगे धान की विभिन्न प्रजातियों के परीक्षण का अवलोकन कराया। भ्रमण के समय केन्द्र के वैज्ञानिक रितेश सिंह गंगवार, डॉ हनुमान पाण्डेय, डॉ प्रतीक सिंह, डॉ अमित सिंह व अविनाश वर्मा ने सहयोग किया। डाटा गणक अमन पाण्डेय वैज्ञानिकों के सम्मुख किसानों के खेत पर लगाये गये परिक्षणों का आंकड़ा प्रस्तुत किया। किसानों के खेत पर अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान फिलिपींस के क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी द्वारा विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार दी गई। दो प्रजातियों बीना – 11 व स्वर्णा समृद्धि का परीक्षण किया जा रहा है। उन्नतशील बीज समूह प्रदर्शन के रूप में कृषि विज्ञान केन्द्र, के सहयोग से कराया गया है। जनपद के किसानों के लिए कौन सी प्रजाति व बुआई तकनीक अच्छी है। जो कम लागत में अधिक उत्पादन दे तथा बीमारियों का प्रभाव भी उसमें कम से कम हो इसका परीक्षण भी किया जा रहा है। गॉव अमड़ा, बरहनी के प्रगतिशील किसान शशिकान्त राय ने अपने प्रक्षेत्र पर धान की सीधी बुआई (डी.एस.आर.) तकनीक से लगाये गये फसल प्रदर्शन से संतुष्टी और प्रसन्नता व्यक्त की और उन्होंने बताया कि कम लगात होने के कारण अन्य किसान भी उनकी फसल देखकर अगले वर्ष धान की सीधी बुआई (डी. एस. आर.) तकनीक से धान लगाने के इच्छुक हैं। फसल अवलोकन के समय उपस्थित किसानों ने कहा कि आने वाले समय में कृषि विज्ञान केन्द्र, व दक्षिण एशिया धान अनुसंधान संस्थान वाराणसी के अन्तर्गत जो कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वह किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी होगा।