The News Point : चंदौली लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय की हार को पार्टी पचा नहीं पा रही है. इसको लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाए जा रहे हैं. जिसके बाद विधायक सुशील सिंह ने संगठन को कटघरे में खड़ा किया है.
उन्होंने सोशल मीडिया फेसबुक पर लिखते लिखा कि ” जब सारी जिम्मेदारी जिले के माननीय विधायकों और माननीय राज्यसभा सांसदों की ही है तो संगठन का क्या काम, समीक्षा करिए आरोप ना लगाइए, हार से सीखना है किसी को जिम्मेदार नहीं बनाना है, अनावश्यक टिप्पड़ी करने से बेहतर है अपनी अपनी कमियों पर ध्यान देते हुए उन कमियों को सुधारा जाए, अभी भी समय है…”
वहीं सैयदराजा विधायक सुशील सिंह के आरोपों के बाद जिले में बीजेपी के कमजोर संगठन को लेकर चर्चाएं शुरु हो गई हैं. पिछले एक दशक में इस बार संगठन सबसे कमजोर नजर आ रहा है, जिसके हिस्से सफलताएं कम और नाकामियां अधिक हैं. लोकसभा चुनाव में संगठन धराशायी नजर आया. इसकी वजह से पार्टी पदाधिकारियों व पूर्व पदाधिकारियों के बूथों पर भी भाजपा हार गई. चुनाव में अपना बूथ सबसे मजबूत और पन्ना प्रमुख की रणनीति भी काम नहीं आई.
निकाय चुनाव में जिले में मिली हार से भी बीजेपी ने सबक नहीं लिया और लोकसभा चुनाव में भी संगठन मोदी की गारंटी के सहारे ही रहा। स्थानीय स्तर पर कारगर प्रयास नहीं किए गए। इसकी वजह से इंडिया गठबंधन को मौका मिल गया और बसपा के कमजोर पड़ने के बाद भाजपा से जुड़ा रहा दलित वोट बैंक इस बार चुनाव में सपा की ओर शिफ्ट हो गया। बीजेपी की हार का प्रमुख कारण इसे भी माना जा रहा है
बीजेपी नेतृत्व ने हार के कारणों की गहनता के साथ समीक्षा की बात कही है. ऐसे में संगठन में व्यापक स्तर पर फेरबदल की गुंजाइश है. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिन-जिन बूथों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, वहां व्यापक स्तर पर फेरबदल हो सकते हैं.