The News Point (चंदौली) : मनराजपुर प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने इस केस में एक अहम टिप्पणी करते हुए डीपीजी मुख्यालय को आदेश भेजा है, जिसमें उन्होंने चंदौली पुलिस की कार्य प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल करते हुए पूरे मामले की जांच अपनी निगरानी में कराने और विवेचना के प्रगति की रिपोर्ट 15-15 दिनों के अंतराल पर कोर्ट पर पेश किए जाने का आदेश दिया है.
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 29 अगस्त को अपने दिए गए आदेश में टिप्पणी किया कि सैयदराजा थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या-119/2022, अंतर्गत धारा-323, 304, 452 आईपीसी में विवेचना के संबंध में विवेचक लक्ष्मण मिश्रा की आख्या प्राप्त हुई. कोर्ट ने मनराजपुर के चर्चित मामले में साक्ष्य संकलन की कार्यवाही को पूर्ण करते हुए अंतिम प्रगति आख्या प्रस्तुत किया जाना था, जो 22 जुलाई 2024 को मुख्यालय स्तर पर लंबित है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि सभी अभियुक्तगण पुलिस कर्मी है, और प्रकरण दो वर्षों से अधिक समय से लंबित है. जिससे यह स्पष्ट होता है कि विवेचना निष्पक्ष रूप से नहीं हो रही है तथा पुलिस द्वारा विवेचना को जानबूझकर विलम्ब किया जा रहा है. लिहाजा पुलिस महानिदेशक लखनऊ इस प्रकरण को खुद के निगरानी में विवेचना कराना सुनिश्चित करेंगे. साथ ही न्यायालय के समक्ष प्रत्येक 15 दिवस पर विवेचना की प्रगति आख्या प्रेषित कराना सुनिश्चित करेंगे. सीजेएम कोर्ट की इस टिप्पणी से जनपद चंदौली पुलिस की कार्यवाही पर कई सवाल भी खड़े हुए हैं. क्योंकि कोर्ट ने मामले की विवेचना पर पुलिस की निष्पक्षता पर भी अपनी टिप्पणी की है.
क्या है मनराजपुर हत्याकांड : दरअसल, 1 मई 2022 को जिला बदर हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव के यहां पुलिस ने दबिश दी थी. दबिश के दौरान कन्हैया की बेटी की कथित मौत का मामला सुर्खियों में रहा था. कन्हैया यादव का आरोप था कि पुलिस ने पीट-पीटकर उसकी बेटी की हत्या की है. इसके बाद कई दिनों तक धरना प्रदर्शन भी चला था. अखिलेश यादव, चंद्रशेखर रावण, संजय सिंह समेत तमाम बड़े नेता भी मनराजपुर पहुँचे थे. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीधे पुलिस पर हत्या के आरोप लगाए थे. इस मामले में घटना की प्रत्यक्षदर्शी और निशा की छोटी बहन गुंजा ने भी सनसनीखेज दावे किए थे.